आखिर क्यों जलती है होली
हिरण्य कशछप नामक एक अधर्मी दैत्य था जो भगवान विष्णु से बढ़ी घृणा करता था। हिरण्य कश्च्छ्प का पुत्र प्रह्लाद था जो भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था इस लिए उसे भक्त प्रह्लाद भी कहते थे।
हिरण्य काश्चप ने अपने पुत्र को हर तरह से विष्णु भक्ति से से रोकना चाहा पर वो उसमे विफल हुआ।
अंततः उसने हांर कर अपनी बहन होलिका जिसे की वरदान था कि वो अग्नि में बैठ जाए या अग्नि स्नान कर ले तो भी वो अग्नि हिरण्याक्ष की बहन होलिका का कुछ भी अनिष्ठ नही कर सकती थी
कुछ विद्वानों का मानना है कि उसके पास ऐसी चुनर थी की जिसे वो पहन कर वो अगर अग्नि में जाती तो भी वो जलती नही थी।
अपने भाई के आदेश पर होलिका ने भक्त प्रह्लाद को गोद में बिठा कर अग्नि में प्रवेश किया।
पर जिस वरदान के घमण्ड में होलिका चूर थी उसीने उसके प्राण हरे थे। प्रह्लाद जो विष्णु का अनन्य भक्त था वो बच गया और जिसे अग्नि स्नानं का वरदान था घमण्ड में चूर वो होलिका अग्नि में जल गई।
आज के दौर में हजारों हिरण्यकश्यप पैदा हो गए है। प्रहलाद कहीं भी नजर नहीं आता। लोग परमेश्वर को छोड़कर व्यक्ति पूजा में लगे हैं। संत, नेता, और अभिनेताओं की मूर्ति बनाकर उन्हें पूजा जा रहा है।
इंसान को इस होली दहन के साथ साथ अपने पाप अपराध अधर्म अमानवीय कार्य अनेतिक कार्य इन सभी का भी दहन करना चाहिए तब जाके एक सफल होलिका दहन इस कलयुग में दिखाई देगा।
हिरण्य कशछप नामक एक अधर्मी दैत्य था जो भगवान विष्णु से बढ़ी घृणा करता था। हिरण्य कश्च्छ्प का पुत्र प्रह्लाद था जो भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था इस लिए उसे भक्त प्रह्लाद भी कहते थे।
हिरण्य काश्चप ने अपने पुत्र को हर तरह से विष्णु भक्ति से से रोकना चाहा पर वो उसमे विफल हुआ।
अंततः उसने हांर कर अपनी बहन होलिका जिसे की वरदान था कि वो अग्नि में बैठ जाए या अग्नि स्नान कर ले तो भी वो अग्नि हिरण्याक्ष की बहन होलिका का कुछ भी अनिष्ठ नही कर सकती थी
कुछ विद्वानों का मानना है कि उसके पास ऐसी चुनर थी की जिसे वो पहन कर वो अगर अग्नि में जाती तो भी वो जलती नही थी।
अपने भाई के आदेश पर होलिका ने भक्त प्रह्लाद को गोद में बिठा कर अग्नि में प्रवेश किया।
पर जिस वरदान के घमण्ड में होलिका चूर थी उसीने उसके प्राण हरे थे। प्रह्लाद जो विष्णु का अनन्य भक्त था वो बच गया और जिसे अग्नि स्नानं का वरदान था घमण्ड में चूर वो होलिका अग्नि में जल गई।
आज के दौर में हजारों हिरण्यकश्यप पैदा हो गए है। प्रहलाद कहीं भी नजर नहीं आता। लोग परमेश्वर को छोड़कर व्यक्ति पूजा में लगे हैं। संत, नेता, और अभिनेताओं की मूर्ति बनाकर उन्हें पूजा जा रहा है।
इंसान को इस होली दहन के साथ साथ अपने पाप अपराध अधर्म अमानवीय कार्य अनेतिक कार्य इन सभी का भी दहन करना चाहिए तब जाके एक सफल होलिका दहन इस कलयुग में दिखाई देगा।
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