आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिनको लोग फरिश्ता कहते हैं
यह महिला किसी स्टार से कम नहीं है
Facebook पर है 1.5 lacs followers .
एक वक्त हुआ करता था जब औरत को अबला समझा जाता था और महिला की कोई वकत समझी नहीं जाती थी लेकिन आज के दौर में 21वीं सदी में अभी यह बातें नहीं है आज के दौर में कहते हैं जिस चीज को शिद्दत से पानी की कोशिश करें आज नहीं तो कल उसको पर ही लेते हैं.
आज के दौर में महिलाएं मर्दो के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं महिलाएं हर उस फील्ड में हैं जिसके अंदर पुरुष हैं ऐसे ही सामाजिक कार्य में भी महिलाएं पुरुषों के साथ सामाजिक कार्य करती हैं
आइए बताते हैं हम आपको इस महिला को फ़रिश्ता क्यों कहते हैं आपके मन में भी यह सवाल होगा .
वैसे तो दिल्ली देश की राजधानी है और साथ ही साथ एक अलग राज्य भी है.
दिल्ली के ही एक इलाके में 5000 झोपड़ियां झुग्गियां दिल्ली सरकार ने तोड़ने का फरमान जारी कर दिया सबीना खान के सफल प्रयास पर उन सभी 5000 झुग्गियों को तोड़ने से रोक दिया गया इसी को लेकर यह बस्ती वाले इस सामाजिक कार्यकर्ता को फरिश्ता कहने लगे.
दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री ने भी नहीं करी कोई मदद केवल दिया आश्वासन
आइए जानते हैं इस सामाजिक कार्यकर्ता के बारे में यह सामाजिक कार्यकर्ता वैसे झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों की
बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर दिल्ली राज्य सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से भी कई बार मिल चुकी है लेकिन उन लोगों की तरफ से भी कोई मदद अभी तक उन लोगों ने नहीं की गई है
हमारी आवाज फाउंडेशन का संचालन भी किया हुआ है
हमारी आवाज फाउंडेशन में 200 बच्चे इस सोशल एक्टिविस्ट ने गोद लिए हुए हैं जिनका खाना खर्चा कपड़े पढ़ाई-लिखाई सभी इन्ही के जिम में है और साथ ही साथ अभी इन की संस्था को कोई अलग से सरकारी मदद या याद दान भी नहीं मिलता पर फिर भी यह अपनी इस संस्था के लिए जो गरीब बच्चों के लिए बनाई हुई है हर संभव कोशिश करती हैं कि इन बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके
इनका मानना है कि जब इंडिया पड़ेगा तभी तो आगे बढ़ेगा और भारत के अगर बच्चे शिक्षित बनेंगे
तो इन बच्चों म से ही तो इंजीनियर डॉक्टर साइंटिस्ट ias pcs ips ऑफिसर बनेंगे अच्छे लीडर बनेंगे
सबीना ने 4 साल से लगातार यह संघर्ष जारी रखा है की बच्चों की बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य बना रहे इन्होंने एक मुहीम महिलाओं के लिए भी चला रखी है जिसके अंदर यह 40 से 70 साल की महिलाओं को जो अनपढ़ है उनको भी यह शिक्षा दे रही है ताकि यह महिलाएं पढ़ सकें और अपने परिवार को अच्छे से संभाल सके और जो यह बचपन में नहीं पढ़ पाए परी अपने बच्चों को पाला है लिखा कर कामयाब बना सकें . और महिला और उन महिलाओं के अंदर यह प्रेरणा भी जगाती हैं
यह सामाजिक कार्यकर्ता अपनी तरफ से जो हंस सकता है उससे कहीं ज्यादा करने की कोशिश करती हैं लेकिन अब देखना यह है कि सरकार इनकी मदद के लिए कितना आगे आती है और इनके लिए क्या कर सकती है या फिर पहले ही की तरह आश्वासन हीं रहेगा
सरकार की कोई मदद मिले ना मिले पर यह अपने संघर्ष को जारी रखेंगी
यह महिला किसी स्टार से कम नहीं है
Facebook पर है 1.5 lacs followers .
एक वक्त हुआ करता था जब औरत को अबला समझा जाता था और महिला की कोई वकत समझी नहीं जाती थी लेकिन आज के दौर में 21वीं सदी में अभी यह बातें नहीं है आज के दौर में कहते हैं जिस चीज को शिद्दत से पानी की कोशिश करें आज नहीं तो कल उसको पर ही लेते हैं.
आज के दौर में महिलाएं मर्दो के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं महिलाएं हर उस फील्ड में हैं जिसके अंदर पुरुष हैं ऐसे ही सामाजिक कार्य में भी महिलाएं पुरुषों के साथ सामाजिक कार्य करती हैं
आइए बताते हैं हम आपको इस महिला को फ़रिश्ता क्यों कहते हैं आपके मन में भी यह सवाल होगा .
दिल्ली के ही एक इलाके में 5000 झोपड़ियां झुग्गियां दिल्ली सरकार ने तोड़ने का फरमान जारी कर दिया सबीना खान के सफल प्रयास पर उन सभी 5000 झुग्गियों को तोड़ने से रोक दिया गया इसी को लेकर यह बस्ती वाले इस सामाजिक कार्यकर्ता को फरिश्ता कहने लगे.
दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री ने भी नहीं करी कोई मदद केवल दिया आश्वासन
आइए जानते हैं इस सामाजिक कार्यकर्ता के बारे में यह सामाजिक कार्यकर्ता वैसे झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों की
बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर दिल्ली राज्य सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से भी कई बार मिल चुकी है लेकिन उन लोगों की तरफ से भी कोई मदद अभी तक उन लोगों ने नहीं की गई है
हमारी आवाज फाउंडेशन का संचालन भी किया हुआ है
हमारी आवाज फाउंडेशन में 200 बच्चे इस सोशल एक्टिविस्ट ने गोद लिए हुए हैं जिनका खाना खर्चा कपड़े पढ़ाई-लिखाई सभी इन्ही के जिम में है और साथ ही साथ अभी इन की संस्था को कोई अलग से सरकारी मदद या याद दान भी नहीं मिलता पर फिर भी यह अपनी इस संस्था के लिए जो गरीब बच्चों के लिए बनाई हुई है हर संभव कोशिश करती हैं कि इन बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके
इनका मानना है कि जब इंडिया पड़ेगा तभी तो आगे बढ़ेगा और भारत के अगर बच्चे शिक्षित बनेंगे
तो इन बच्चों म से ही तो इंजीनियर डॉक्टर साइंटिस्ट ias pcs ips ऑफिसर बनेंगे अच्छे लीडर बनेंगे
सबीना ने 4 साल से लगातार यह संघर्ष जारी रखा है की बच्चों की बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य बना रहे इन्होंने एक मुहीम महिलाओं के लिए भी चला रखी है जिसके अंदर यह 40 से 70 साल की महिलाओं को जो अनपढ़ है उनको भी यह शिक्षा दे रही है ताकि यह महिलाएं पढ़ सकें और अपने परिवार को अच्छे से संभाल सके और जो यह बचपन में नहीं पढ़ पाए परी अपने बच्चों को पाला है लिखा कर कामयाब बना सकें . और महिला और उन महिलाओं के अंदर यह प्रेरणा भी जगाती हैं
यह सामाजिक कार्यकर्ता अपनी तरफ से जो हंस सकता है उससे कहीं ज्यादा करने की कोशिश करती हैं लेकिन अब देखना यह है कि सरकार इनकी मदद के लिए कितना आगे आती है और इनके लिए क्या कर सकती है या फिर पहले ही की तरह आश्वासन हीं रहेगा
सरकार की कोई मदद मिले ना मिले पर यह अपने संघर्ष को जारी रखेंगी
No comments:
Post a Comment
Aap tak crime news web channel . Aapka apna channel
Hamare web channel se judne ki liye sampark Kare.
Chief editor Aadil Siddique