Friday, 3 March 2017

कृपया टी. बी. रोग के बारे मे लोगो को जागरूक करने मे हमारी मदद करें

कृपया टी. बी. रोग के बारे मे लोगो को जागरूक करने मे हमारी मदद करें :-
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टी.बी. की बीमारी क्‍या है ?
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टी.बी यानि क्षय रोग एक संक्रामक रोग है, जो कीटाणु के कारण होता है।

टी.बी. के लक्षण क्‍या है?

१.दो सप्‍ताह से ज्‍यादा खांसी

२.बुखार विशेष तौर से शाम को बढने वाला बुखार

३.छाती में दर्द

४.वजन का घटना

५.भूख में कमी

६.बलगम के साथ खून आना

टी.बी. की जॉंच कहॉं होती है ?
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अगर दो सप्‍ताह से ज्‍यादा खांसी हो तो नजदीक के सरकारी अस्‍पताल/ प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र , जहॉं बलगम की जॉंच होती है,  वहॉं बलगम के दो नमूनों की निःशुल्‍क जॉंच करायें।

टी.बी. की जॉंच और इलाज सभी सरकारी अस्‍पतालों में बिल्‍कुल मुफ्त किय जाता है।

टी.बी का उपचार कहॉं होता है ?
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रोगी को घर के नजदीक के स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र (उपस्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र, प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र एवं चिकित्‍सालयों) में डॉट्स पद्वति के अन्‍तर्गत किया जाता है।

उपचार अवधि 6 से 8 माह।

उपचार विधिः-
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प्रथम दो से तीन माह स्‍वास्‍थ्‍य पर स्‍वास्‍थ्‍य कर्मी की सीधी देख-रेख में सप्‍ताह में तीन बार औषधियों का सेवन कराया जाता है। बाकी के चार -पॉंच माह में रोगी को एक सप्‍ताह के लिये औषधियॉं दी जाती है जिसमें से प्रथम खुराक चिकित्‍साकर्मी के सम्‍मुख तथा शेष खुराक घर पर निर्देशानुसार सेवन करने के लिये दी जाती है।

नियमित और पूर्ण अवधि तक उपचार लेने पर टी.बी. से मुक्ति मिलती है।

बचाव के साधन:-
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बच्‍चों को जन्‍म से एक माह के अन्‍दर B.C.G. का टीका लगवायें।

रोगी खंसते व छींकतें वक्‍त मुंह पर रूमाल रखें।

रोगी जगह-जगह नहीं थूंके।

क्षय रोग का पूर्ण इलाज ही सबसे बडा बचाव का साधन है।

टी.बी रोग विशेषकर फेफडों को ग्रसित करता है,  शरीर के अन्‍य अंग जैसे मस्तिष्‍क,  आंतें,  गुर्दे,  हड्डी व जोड इत्‍यादि भी रोग से ग्रसित होते हैं।

टी.बी. का निदान कैसे किया जाये?
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टी.बी के निदान (पहचान) का सबसे कारगर एवं विश्‍वसनीय तरीका सुक्ष्‍मदर्शी (माइक्रोस्‍कोप) के द्वारा बलगम की जांच करना है क्‍योंकि इस रोग के जीवाणु (बेक्‍ट्रेरिया) सुक्ष्‍मदर्शी द्वारा आसानी से देखे जा सकते हैं।

टी.बी रोग के निदान के लिये एक्‍स-रे करवाना, बलगम की जॉंच की अपेक्षा मंहगा तथा कम भरोसेमन्‍द है, फिर भी कुछ रोगियों के लिये एक्‍स-रे व अन्‍य जॉंच जैसे FNAC, Biopsy, CT Scan की आवश्‍यकता हो सकती है।

क्‍या सभी प्रकार के क्षय रोगियों के लिये डॉट्स कारगर है?

डॉट्स पद्वति के अन्‍तर्गत सभी प्रकार के क्षय रोगियों को तीन समूह में विभाजित कर (नये धनात्‍मक गम्‍भीर रोगी पुरानी व पुनः उपचारित क्षय रोगी और नये कम गम्‍भीर रोगी) उपचारित किया जाता है। सभी प्रकार के क्षय रोगियों का पक्‍का इलाज डाट्स पद्वति से सम्‍भव है।

डॉट्स के अन्‍तर्गत टी.बी की चिकित्‍सा क्‍या है?
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आज ऐसी कारगर शक्तिशाली औषधियां उपलब्‍ध है, जिससे टी.बी. का रोग ठीक हो सकता है परन्‍तु सामान्‍यतया रोगी पूर्ण अवधि तक नियमित दवा का सेवन नहीं करता हे सीधी देख-रेख के द्वारा कम अवधि चिकित्‍सा (Directly observed Treatment Short Course) टी.बी. रोगी को पूरी तरह से मुक्ति सुनिश्चित करने का सबसे प्रभावशाली तरीका है। यह विधि स्‍वास्‍थ्‍य संगठन द्वारा विश्‍वस्‍तर पर टी.बी. के नियन्‍त्रण के लिये अपनाई गई एक विश्‍वसनीय विधि है, जिसमें रोगी को एक-दिन छोडकर सप्‍ताह में तीन दिन कार्यकर्ता के द्वारा दवाई का सेवन कराया जाता है।

डॉट्स विधि के अन्‍तर्गत चिकित्‍सा के तीन वर्ग है,  प्रथम,  द्वितीय, प्रत्‍येक वर्ग में चिकित्‍सा का गहन पक्ष(Intensive Phase) ओर निरन्‍तर पक्ष (Continuation Phase) होते हैं। गहन पक्ष (I.P.) के दौरान विशेष ध्‍यान रखने की आवश्‍यकता है तथा यह सुनि‍श्चित करना है, कि रोगी, औषधि की प्रत्‍येक खुराक स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता, स्‍वयंसेवक, सामाजिक कार्यकर्ता, निजी चिकित्‍सक की सीधी देख-रेख में लेंवें निरन्‍तर पक्ष(C.P.) में रोगी को हर सप्‍ताह औषधि की पहली खुराक आपके सम्‍मुख लेनी है तथा अन्‍य  खुराक रोगी को स्‍वयं लेनी होगी अगले सप्‍ताह का औषधि पैक ( बलस्‍टर पैक) लेने के लिये रोगी को पिछले सप्‍ताह का काम में लिया गया खाली बलस्‍टर पैक अपने साथ लाना आवश्‍यक है।

गहन पक्ष के दौरान हर दुसरे दिन,  सप्‍ताह में तीन बार औषधियों का सेवन कराया जाता है।  उल्‍लेखनीय है कि सप्‍ताह में तीन दिन की चिकित्‍या उतनी प्रभावी है,  जितनी प्रतिदिन की चिकित्‍सा। निर्धारित दिन पर रोगी चिकित्‍सालय में नहीं आता है तो  डॉट्स प्रोवाईडर का  उत्‍तरदायित्‍व है,  कि रोगी को खोजकर उसको परामर्श, द्वारा  उस दिन अथवा अगले दिन औषधि का सेवन करायी जानी चाहिए।

गहन पक्ष (प्रथम वर्ग के रोगी) की 22 खुराकं और गहन पक्ष (द्वितीय वर्ग के रोगी) की 34 खुराकं पूरी होने पर रोगी के बलगम के दो नमूनें जॉंच के लिये लेने चाहिए,  ताकि गहन पक्ष की उसकी सभी खुराकें पूरी होने तक जॉच के नतीजें उपलब्‍ध हो सकें यदि बलगम संक्रमित नहीं(Negative) है ता रोगी को निरन्‍तर पक्ष की औषधियां देना प्रारम्‍भ कर देना चाहिए यदि बलगम में संक्रमण(Positive) हो तो उपचार देने वाले चिकित्‍सक को रोगी के गहन पक्ष की चिकित्‍सा अवधि को बढा देनी चाहिए।

याद रहे नियमित दवा न लेने पर मरीज घातक बीमारी को बढावा दे देता है जिससे दवा रेसिस्टेन्ट हो जाती है तथा टीबी -एम.डी.आर , एक्स.डी.आर , तथा टी.डी. आर. का रूप ले लेती है तथा मरीज को बचाना मुश्किल हो जोता है

टी.बी.रोग से मुक्ति के लिए आप अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जायें जहाँ  परामर्श , जाँच एवं इलाज निःशुल्क उपलब्ध है ।

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