Tuesday, 7 March 2017

लाखों की सैलरी छोड़ ये लड़की बाल सेवा के लिए घूम रही है झुग्गियों में,वजह जानेंगे तो करेंगे सैल्यूट

 लाखों की सैलरी छोड़ ये लड़की बाल सेवा के लिए घूम रही है झुग्गियों में,वजह जानेंगे तो करेंगे सैल्यूट

Mar 07,2017 14:34



इलाहाबाद. एक अनाथ बच्चे के आंसू ने संगमनगरी की नाजिया की जिंदगी बदलकर रख दी। कभी 6 लाख के पैकेज पर बैंक मैनेजर रहीं नाजिया अब झुग्गी-झोंपड़ियों में घूम-घूमकर बेसहारा और गरीब बच्चों की मदद करती हैं। नाजिया अपनी जॉब कंटीन्यू कर आराम की जिंदगी जी सकती थीं, लेकिन उन्होंने सोसाइटी में बदलाव लाने के लिए खुद को ही चेंज कर दिया। aaptakcrimenewsweb इसी बैंकर गर्ल के बारे में अपने रीडर्स को बता रहा है। बच्चे के सवाल ने बदल दी लाइफ...



- न्यू चकिया मोहल्ले की रहनेवाली नाजिया की एमबीए करने के बाद बैंक में नौकरी लगी थी।
- महज 3 साल में नाजिया का सालाना पैकेज 2.5 लाख से बढ़कर 6 लाख रुपए से ज्यादा का हो गया था।
- अच्छी करियर ग्रोथ के बावजूद नाजिया सेटिस्फाइड नहीं थीं।
- राह चलते मिलने वाले भिखारी बच्चों की तकलीफें उन्हें परेशान करती थीं।
- नाजिया ने बताया, "मैं परेड ग्राउंड से गुजर रही थी, तभी वहां मुझे फुटपाथ पर बैठा बच्चा दिखा। वो हाथ में फटी हुई किताब लिए पढ़ रहा था।"
- "मैंने उससे पूछा क्या तुम पढ़ाई करना चाहते हो। इस पर उसने मासूमियत से कहा - हां, लेकिन मेरे पास पैसे नहीं हैं।"
- नाजिया के मन को यही बात छू गई और उसने गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए कुछ करने की ठान ली।



छोड़ दी जॉब



- नाजिया ने शुरुआत में जॉब करते हुए ही गरीब बच्चों की मदद करना शुरू किया।
- वो स्लम और झुग्गी-झोंपड़ियों में जाकर बच्चों में स्टेशनरी डिस्ट्रिब्यूट करतीं तो कभी खुद बच्चों को पढ़ातीं।
- 31 जनवरी 2012 को उन्होंने बैंक से रिजाइन कर खुद को पूरी तरह से सोशल वर्क में लगा दिया।
- नाजिया स्लम बस्तियों के बच्चों को स्कूल भेजने के अभियान में जुट गईं।
- 2 साल तक उन्होंने खुद के पैसों से सोशल वर्क किया।
- जब पैसों की तंगी लगी तो दोबारा बैंक जॉब शुरू कर दी।
- साल भर नौकरी करने के बाद उन्हें लगा कि नौकरी की वजह से उनकी बच्चों की सेवा पर असर पड़ रहा है।
- मार्च 2015 में उन्होंने दूसरी नौकरी से भी रिजाइन कर दिया।
- अब वह पूरी तरह से यतीम, गरीब और दलित बच्चों की एजुकेशन, हेल्थ और जॉब की तलाश कराने में जुटी हैं।
- नाजिया ने 2011 में अलकौशर नाम के NGO का रजिस्ट्रेशन भी कराया।
- अब वह इसी संस्था के माध्यम से काम करती हैं।




2 सरकारी स्कूलों को किया अडॉप्ट



- नाजिया ने अलोपीबाग स्थित प्राइमरी एवं पूर्व माध्यमिक विदयालय को गोद लिया है।
- यहां मलिन बस्तियों के बच्चों को स्कूल भेजती है।

स्लम एरियाज में छेड़ रखा है अभियान

- नाजिया नफीस किसी से कोई मदद नहीं लेती।
- अगर कोई मदद करना भी चाहता है तो वह सीधे गरीबो की बस्तियों अथवा अनाथ आश्रम में जाकर दान करा देती हैं।
- हरवारा दलित बस्ती, दारागंज झोपड़पटटी, परेड मलिन बस्ती, मिंटो पार्क धैकार बस्ती, सोहबतियाबाग, छीतपुर, फतेहपुर बिछुआ जैसे दो दर्जन बस्तियां ऐसी हैं जहां के बच्चों के लिए नाजिया दीदी बन चुकी हैं।




इलाहाबादी मदर टेरेसा



- नाजिया को लोग इलाहाबादी मदर टेरेसा के नाम से बुलाने लगे हैं।
- नाजिया खुल्दाबाद अनाथ आश्रम के बच्चों की मां की तरह सेवा करती हैं।
- आधे घंटे का समय निकालकर वह इस अनाथ आश्रम में डेली जाती हैं।
- वहां रह रहे बच्चों के लिए टॉफी, चॉकलेट, बिस्किट  ले जाती हैं
कई संस्थाओं की हैं मेंबर



- पंजाब नेशनल बैंक की वूमेन सेक्सुअल हरैसमेंट कमेटी की मेंबर हैं।
- सेंट्रल गवर्नमेंट के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की डिस्ट्रिक स्टीयरिंग कमेटी और रानी लक्ष्मी बाई स्टीयरिंग कमेटी की भी मेंबर हैं।
- नाजिया बाल मित्र भी हैं और मेंटर आफ वूमेन एंड चाइल्ड वेलफेयर से भी जुड़ी हैं।

मिल चुके हैं कई पुरस्कार



- नाजिया नफीस को स्लम एरियाज और यतीम बच्चों के लिए काम करने के लिए डीएम, कमिश्नर समेत कई गणमान्य व्यक्ति सम्मानित भी कर चुके हैं।
- उन्हें बाल मित्र का भी पुरस्कार मिला चुका है।
- रानी लक्ष्मीबाई सम्मान के लिए यहां से उनका नाम भेजा गया है।


: स्कूल बनाने का है AIM



- नाजिया नफीस का सपना है कि वह एक ऐसा आश्रम बनाएं जिसमें यतीम बच्चों के रहने-खाने से लेकर पढ़ने-लिखने तक की व्यवस्था हो।
- नाजिया बच्चों के दिलोदिमाग से यह बात निकालना चाहती हैं कि वो अनाथ हैं।
- इसलिए वह उन बच्चों की देखभाल एक मां की तरह करना चाहती हैं।


: ईद संग होली, दिवाली व क्रिसमस भी मनाती हैं नाजिया



- नाजिया नफीस सभी धर्मों को मनाती हैं।

- उन्हें ईद भी अच्छी लगती है, होली दिवाली भी मनाती हैं।
- उनके लिए मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म हैं। सबसे बड़ी पूजा है।



 बचपन में पड़ती थी डांट



- नाजिया नफीस बचपन से ही किसी का दर्द या घाव देखा नहीं पातीं।
- अगर कोई भिखारी घर आता था तो उसे ज्यादा अनाज, आटा आदि दे देती थीं।
- इस बात पर उनकी अम्मी नफीसा फटकारती थीं कि घर का सारा सामान उड़ा देगी।

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